नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-2024 के लिए 76 हजार 592 करोड़ का बजट पेश किया है। यह बजट उधार का बजट है जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना निर्माण , रोजगार सजृृन आदि के लिए कुछ भी नहीं है।आगे पढ़ें….
चिंता की बात यह है कि सरकार के बजट के अनुसार उत्तराखण्ड राज्य पर इस वित्तीय साल के अंत तक 1 लाख 34 हजार 749 करोड़ का उधार और अन्य देनदारी हो जायेगी। 2017 तक प्रदेश पर केवल 35 हजार करोड़ का कर्ज और देनदारी थी। 2017 में प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद इस साल तक सरकार ने 99 हजार 749 करोड़ रुपए का कर्ज ले लिया है।इसलिए उत्तराखण्ड राज्य पर कर्ज उसके सालाना बजट के आकार से कही अधिक हो गया है। कर्ज और देनदारी को कुल सकल घरेलू उत्पाद याने जी0एस0डी0पी0 का 25 प्रतिशत तक रखने की राजकोषीय उत्तरदायित्व एंव बजट प्रबंधन अधिनियम (एफ0आर0बी0एम0) की सीमा को उत्तराखण्ड 2019-20202 में ही लांघ चुका है। इस वित्तीय वर्ष में यह 35 प्रतिशत से अधिक हो जायेगा। कर्ज में डूबे इस बजट से राज्य के युवाओं, किसानों और आम आदमी को कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।