रचनाकार -भुवन बिष्ट मौना, रानीखेत अल्मोड़ा
जै जै शंकर देवा, महादेव छा महान,
भक्त ऐंरीं द्वार, सब करनीं गुणगान।…..
त्रिकाल दर्शी तुम छा, देव त्रिनेत्र धारी छा,
भक्तों कैं लाज धरणी, शीश गंग जटा धारी छा।
कैलाश पर्वत में तुमुल, आसन लगाई छौ,
तन में बभूति लगाई, ब्याघ्र चर्म लिपटाई छौ।
संग माता पार्वतीज्यू, पुत्र गणपति लाला छन,
हाथ में त्रिशूल सजीं, गले नागों की माला छन।
जै जै शंकर देवा, महादेव छा महान,
भक्त ऐंरीं द्वार, सब करनीं गुणगान।…..
अमर नाथ तुमौर वासा,जय जय बाबा केदार,
जय बागेश्वर बागनाथ, जागेश्वर शंभू दरबार।
जटा बसी छौ गंग तुमरी,शीशचन्द्र त्रिशूल धारी,
जै हो दयाप्तों महादेव, तुम छाँ देव पालनहारी।
शिवालय छौ धाम तुमौर,जय जय कैलाशवासी,
आयूँ मैं देव त्यौर शरणा, शंभू मैं छूँ त्यौर विश्वासी।
जै जै शंकर देवा, महादेव छा महान,
भक्त ऐंरीं द्वार, सब करनीं गुणगान।…..
अन्न धनक भकार भरिये, रोग दोष कैं दूर करिया,
जन जन खुशहाल बणांया, लाज देव तुम धरिया।
घट घट महादेव निवासी, जै शंभू शिवालय वासी,
नंदी गण साथ रौंनी, जय जय शंभू कैलाशवासी।
सुर जनौ कै रक्षा करछा, देव करौ छौ विषपान,
नीलकंठ नाम पड़छौ, हिमगिरी में आसन ध्यान।
जै जै शंकर देवा, महादेव छा महान,
भक्त ऐंरीं द्वार, सब करनीं गुणगान।