नैनीताल। पहाड़ों में शिक्षा के मंदिरों की हालत जर्जर हो गई है। यहां पढ़ रहे विद्यार्थी अपनी जान जोखिम में डाल कर रोजाना अपना भविष्य संवारने पहुंच रहे हैं, क्योंकि मूलभूत सुविधाओं से दूर इन गांव के बच्चों के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। हाल ही में चंपावत जिले के पाटी ब्लॉक के मोन कांडा ग्राम में राजकीय प्राथमिक विद्यालय के जर्जर हो चुके शौचालय की छत ढहने से एक 8 वर्षीय छात्र की मौत हो गई और 5 छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए।
जिले के बेतालघाट के ग्राम सभा जोशीखोला के राजकीय प्राथमिक विद्यालय तिवारी खोला में कुल 17 बच्चे पढ़ने आते हैं। बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक भी एक हैं। यह विद्यालय खतरे की जद में है और इसकी जर्जर छत कभी भी गिर सकती है। शायद यही वजह है कि यहां बच्चों की संख्या भी लगातार घट रही है। वहीं, सरकार और शिक्षा विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा। विद्यालय की छत इतनी जर्जर हो चुकी है कि यह कभी भी गिर सकती है। ग्रामीणों और स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस संबंध में कई बार शिक्षा विभाग को अवगत कराया। खंड शिक्षा अधिकारी को इस विषय में बीते वर्षों में कई बार लिखित और मौखिक शिकायत भी की गई, लेकिन उनका जवाब हमेशा ही यह रहता है कि “फाइल आगे बढ़ा दी गई है”…लेकिन फाइल कहां तक पहुंची, इसका जवाब उनके पास नहीं है। सवाल है कि क्या विभाग और उच्च अधिकारी किसी अनहोनी होने पर फाइल आगे बढ़ाएंगे? जबकि यहां 17 मासूम बच्चे रोजाना खतरे के साये में पढ़ने को मजबूर हैं।
जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो विभाग का घेराव करेंगे ग्रामीण
विद्यालय को लेकर यदि जल्द कोई कार्रवाई नहीं की गई तो ग्रामीण बीओ कार्यालय का घेराव करेंगे। उनका कहना है कि वह बच्चों को पढ़ने भेजते हैं, लेकिन सरकार और अधिकारी नहीं चाहते कि उनके बच्चे सुरक्षित माहौल में पढ़ सकें। जल्द इस मामले में सकारात्मक कदम नहीं उठाये गए तो वह आमरण अन्नशन करने पर भी मजबूर हो जाएंगे।
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–केएस रावत, मुख्य शिक्षा अधिकारी
जिले के सभी जर्जर विद्यालयों के भवनों का डाटा हमने जुटाया है। कुछ विद्यालयों के जीर्णोद्धार के लिए प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा भी गया है। बजट की कमी है, धनरााशि जारी होते ही भवनों की मरम्मत कराने का काम कराया जाएगा। जर्जर हो चुके विद्यालय खाली कर वैकल्पिक स्थान पर बच्चों को पढ़ाने की व्यवस्था की जाएगी।