रेनू सत्यपाल अल्मोड़ा। सांस्कृतिक नगरी,ताम्र नगरी व बाल मिठाई जा शहर के नाम से विख्यात अल्मोड़ा अपनी अमूल्य धरोहर,संस्कृति,परंपरा व पर्यटन के लिए पूरे देश में जाना जाता है।अल्मोड़ा शहर से करीब 140 किमी दूर सल्ट ब्लॉक में स्थित आदिशक्ति मां मानीला देवी मंदिर में वर्ष भर देश के कौन-कौने से हजारो की संख्या में भक्त दर्शन को पहूंचते है। मनीला देवी मंदिर दो भागों में बटा हैं,कुमाऊनी भाषा में मल मनीला और तल मानिला प्राचीन मानिला मंदिर तल मानिला मे ही स्थित है।जबकि मल मानिला सुरम्य बांज और बुरास के खूबसूरत जंगल के बीच बसा है,मल मानिला जहां पर देवी की शक्तिपीठ है,और एक संस्कृत विद्यापीठ भी मंदिर प्रांगण मे स्थित है जहां पर अलग अलग स्थानों से छात्र शिक्षा ग्रहण करने आते हैं।आगे पढ़ें….
मंदिर का ऐतिहासिक महत्त्व।मानिला मंदिर का निर्माण कत्यूरी राजा ब्रह्मदेव द्वारा किया गया,मंदिर के अंदर काले पत्थर से निर्मित दुर्गा माता का मंदिर और भगवान विष्णु की सुंदर प्रतिमा है और प्रांगण में एक बहुत पुराना कल्पवृक्ष है।स्थानीय लोग बताते हैं कि एक बार कुछ चोरों ने माता की अष्ट धातु की प्रतिमा को ले जाने का प्रयास किया जब उनसे प्रतिमा नही उठाई गई तो उन्होंने प्रतिमा का एक हाथ तोड़ कर ले गए,कुछ दूर जाने के बाद वे बैठ गए और जब उठे तो उनसे माता का हाथ उठाया नही गया। जिसपर चोर प्रतिमा को वही छोड़कर भाग निकले,सुबह जब लोगो ने माता का एक हाथ देखा तो फिर सभी ने मिलकर माता मानिला माई के मंदिर की स्थापना की। कहा जाता है कि चंदकाल मे भी चंदवंशी राजा बाज बहादुर चंद ने भी मानिला गड़ पर आक्रमण किया और मंदिर से अनेक कीमती सामान चुराने का प्रयत्न किया।आगे पढ़ें…..
मंदिर में स्थापित उत्तराखंड का पहला लोक देवता म्यूजियम। देवभूमि में लोकदेवो का बड़ा महत्व है ।हर शुभ कार्य से पहले अपने देवी देवताओं की पूजा की जाती है ।वर्तमान में आधुनिकता के दौर में नई पीढ़ी के युवा अपनी संस्कृति,परंपरा व लोकदेवताओ से परे हैं।अपने लोकदेवताओं को जानने के लिए मंदिर कमेटी द्वारा एक संग्रहालय तैयार किया गया है,जहां पर एक ही छत के नीचे सभी देवताओं के दर्शन हो सकेंगे। यहां पर उत्तराखंड के स्थानीय क्षेत्रों में पूजे जाने वाले लोकदेवों की प्रतिमाएं विशिष्ट पत्थरों पर उकेरी गई हैं जिसमे न्याय देवता गोलज्यु महाराज, नृशिंग देवता,सेम देवता,श्री बधान गड़ देवता,श्रीकृष्ण देवता (ग्वेल्दे रानी) श्री बद्रीनाथ,नागरझन देवता,नागराज देवता,नवग्रह देवता,गायत्री माता,बडू सेजपाल,महारानी जिया,धामदौ,ब्रह्मदेव,क्षेत्रपाल आदि शामिल है।