बद्रीनाथ धाम का मुख्य द्वार जोशीमठ आदि गुरु शंकराचार्य की तपस्थली आज से पच्चीस सौ वर्ष पूर्व आदि गुरु शंकराचार्य ने 11 वर्ष की आयु में जब केरल से पदयात्रा कर उत्तराखंड के वद्रीकारण्य स्थान को खोजा एवं ज्योतिर्मठ में कल्पवृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या की। धार्मिक मान्यता अनुसार आदिगुरु शंकराचार्य को इसी स्थान पर दिव्य प्रकाश की अनुभूति हुई थी। आदिगुरु शंकराचार्य ने हिंदू धर्म को सबसे बड़ा दर्शन दिया जिन्होंने भारत भ्रमण कर हिंदुओं को एक सूत्र में पिरोया। आज वही तप:स्थली विस्फोटक स्थिति में आ पहुंची है।
आदिगुरु शंकराचार्य की तपस्थली ज्योतिर्मठ संकट में
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