अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस २२मई को मनाया जाना है।संयुक्त राष्ट्र ने इस दिवस की अहमियत को देखते इस दिवस की घोषणा की जिससे प्रत्येक नागरिक जैव विविधता के प्रति गंभीर हो सके २२में १९९२ को नैरोबी सम्मेलन में इसकी सहमति बनी।२०२२की थीम वी द पार्ट ऑफ सॉल्यूशन जैव विविधता के संरक्षण के प्रति मानव का कर्तव्य बोध है। जैव विविधता स्वेस्थाने तथा वाह्यस्थाने से संरक्षित की जा सकती है। संकटापान प्रजातियां प्रकीतिक् आवास में ही सुरक्षित रह सकती है।
एक इंसान ७० वर्ष की आयु में ६५ ट्री द्वारा उत्पन ऑक्सीजन का प्रयोग करते है। विश्व में १७ लाख ५० हजार प्रजातियां ज्ञात है किंतु इनकी संख्या अधिक हो सकती है। जैव विविधता कई देशों की ५से ३० प्रतिसत तक जीडीपी को नियंत्रित करती है।वैसे तो जैव विविधता प्रजातियां ,परितंत्र ,अनुवांशिक तीन प्रकार की होती है किंतु आवास नष्ट,प्रदूषण ,विदेशी प्रजातियों,,अति सोसन,शिकार,वन विनाश,अतिचाराई ,बीमारी,से इनकी संख्या कम हो रही है। जैव विविधता का मानव जीवन से महत्पूर्ण स्थान है तथा इसके बिना जीवन संभव नहीं है।११प्रतिसत विश्व की आर्थिकी इसी पर निर्भर करती है।भोजन ,कपड़ा ,औषधि इसी से मिलती है ।भारत में ७५०० प्रजातियां औषधि गुण युक्त तथा उत्तराखंड में ७०१ प्रजातियां है।एवम भारतीय हिमालय क्षेत्र में १७४८ प्रजातियां है।जैव विविधता प्रदूषण को कम करती ,तापक्रम को कम रखती, भारी धातुओं का निस्तारण,कार्बन डाई ऑक्साइड सोखने ,मिट्टी बनाने,पोसक चक्र को गतिमान रखने तथा पारिस्थिक तंत्र को स्थिरता देते है।ज्वारीय वन तूफान को कम करते तो सामाजिक वन सहभागिता बताते है।जैव विविधता का संरक्षण सतत विकास के क्रम में जरूरी है ताकि जीवन संरक्षित रहे सके।
22 मई अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर, डॉ ललित तिवारी का लेख
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