उत्कृष्ट कार्य करने वाले प्रधानाचार्य को किया गया सम्मानित……..
नैनीताल।18 नवम्बर सरोवर नगरी नैनीताल का बसासत जन्मदिन नगर के मल्लीताल स्थित डीएसए मैदान में धूमधाम से मनाया गया।आयोजक तल्लीताल व्यापार मंडल के अध्यक्ष मारुति नंदन सह के द्वारा हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी नैनीताल का जन्मदिन मनाया गया।
शुक्रवार को नगर के मल्लीताल स्थित बीएसए मैदान के बास्केटबॉल कोर्ट में नैनीताल का 181वां बसासत का जन्मदिन मनाया गया।इस दौरान चारो धर्मो के धर्मगुरुओं द्वारा नैनीताल की खुशहाली के लिए प्रार्थना की गई ,तथा हवन कर मंत्रोचार किया गया तथा अंत में केक काटकर लोगों के बीच वितरित किया गया। तथा बतौर मुख्य अतिथि सरिता आर्य द्वारा वरिष्ठ नागरिकों व स्कूलों के प्रधानाचार्य का सम्मान किया गया।वही कार्यक्रम में नगर के विभन्न स्कूलों के छात्र छात्राओं द्वारा भी प्रतिभाग किया गया।
कार्यक्रम में पंडित केसी सुयाल द्वारा हवन यज्ञ किया जिसमें विधायक सरिता आर्या ने यजमान के तौर पर हवन में प्रतिभाग किया तथा मंत्रोचार कर नैनीताल की खुशहाली के लिए प्रार्थना की,वही मुस्लिम समुदाय के मुस्लिम प्रतिनिधि मो. दिलावर तथा सिख धर्म के देवेंद्र पाल क्रिश्चियन धर्म के मिसेज दानी तथा बौद्ध धर्म के तेनजिंग सैफल द्वारा नैनीताल की खुशहाली के लिए दुआ मांगी। तथा नगर के विभन्न स्कूलों,होटलो आदि द्वारा प्रायोजित 50 से अधिक केक काट कर लोगो में वितरित किया गया।
वही उत्कृष्ट कार्य करने वाले सेंट मेरी,शेरवुड कालेज,बिरला विद्या मंदिर,जीजीआईसी,सैनिक स्कूल,निशांत पब्लिक स्कूल,बिशप शॉ,होली एकेडमी,रामा मोंटेश्वरी,बालिका विद्या मंदिर,राधा चिल्ड्रन एकेडमी आदि स्कूलों के प्रधानाचार्यो को विधायक सरिता आर्य व आयोजक मारुति नंदन साह तथा ईशा साह द्वारा सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का संचालन नवीन पांडे व मीनाक्षी कीर्ति द्वारा किया गया।
इस दौरान डॉ एमएस दुग्ताल,सावित्री दुग्ताल,गोपाल रावत,आनंद बिष्ट,मुन्नी तिवारी,सभासद गजाला कमाल, जेके शर्मा,नीलू एलेन्स,सिस्टर मंजूषा,ब्रदर हैक्टर पिंटो, बिशन मेहता,डीएन भट्ट,कैलाश चन्द सुयाल,ममता जोशी,नासिर,शीलू उप्रेती,सुनील बोरा,मोहित साह, विश्वकेतु,रोहित भाटिया आदि लोग मौजूद रहे।
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इन 178 सालों में सरोवर नगरी ने तमाम उतार -चढ़ाव पार किए हैं. जिसकी बानगी आज भी देखने को मिलती है……
18 नवम्बर 2020 को सरोवर नगरी ने अपने स्थापना के 178 साल पूरे कर लिये है, आज ही के दिन 1841 में अंग्रेज व्यपारी पीटर बैरन ने नैनीताल की खोज की थी. समुद्ध तल से 1938 मीटर ऊंचाई पर स्थित नैनीझील इस शहर का प्रमुख आर्कषण है. जिसका दीदार करने देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर से सैलानी आते हैं. टिफिन टाप, हिमालय दर्शन चायना पीक कई दर्शनीय स्थल यहां मौजूद है. इसके अलावा दर्जनों ऐतिहासिक इमारतें आज भी ब्रिटिस काल की याद दिलाती है।
बताया जाता है कि पी. बैरून ने इस इलाके के थोकदार से स्वयं बातचीत की वे इस सारे इलाके को उन्हें बेच दें पहले तो थोकदार नूरसिंह तैयार हो गये थे, परन्तु बाद में उन्होंने इस क्षेत्र को बेचने से मना कर दिया. बैरून इस अंचल से इतने प्रभावित थे कि वह हर कीमत पर नैनीताल के इस सारे इलाके को अपने कब्जे में कर, एक सुन्दर नगर बसाने की योजना बना चुके थे. जब थोकदार नूरसिंह इस इलाके को बेचने से मना करने लगे तो एक दिन बैरून साहब अपनी किश्ती में बिठाकर नूरसिंह को नैनीझील में घुमाने के लिए ले गये और बीच में ले जाकर उन्होंने नूरसिंह से कहा कि तुम इस सारे क्षेत्र को बेचने के लिए जितना रुपया चाहो, ले लो, परन्तु यदि तुमने इस क्षेत्र को बेचने से मना कर दिया तो मैं तुमको इसी ताल में डूबो दूंगा. बैरून साहब ने अपने विवरण में लिखते है कि डूबने के भय से नूरसिंह ने स्टाम्प पेपर पर दस्तखत कर दिये और बाद में बैरून की कल्पना का नगर नैनीताल बस गया।
सरोवर नगरी की खोज का श्रेय अंग्रेज व्यापारी पी बैनर को जाता है, लेकिन इससे पहले तत्कालीन कमिश्नर ट्रेल वर्ष 1823 के करीब नैनीताल पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने इसे जगजाहिर इसलिए नहीं किया कि उन्हें सरोवर नगरी के नैसर्गिक स्वरूप के बिगड़ने का अंदेशा था। दूसरी ओर बैरन ने यहां से लौटते ही कोलकाता में अखबारों में नैनीताल के संबंध में लेख प्रकाशित कराकर वाहवाही लूटी। ट्रेल का अंदेशा सही निकला और बसासत होने के बाद नैनीताल का सौंदर्य लगातार बिगड़ता चला गया।